कई गमों ने मारा किस किस का नाम लूं

 


कई गमों ने मारा किस किस का नाम लूं


है दिल मेरा बेचारा क्यों कर न थाम लूं


 


कोई बताए मुझको इस गम की कुछ दवा


है नहीं कोई दवा तो मै दुआ से काम लूं


 


इस दर्द ए गम ने इतना तोड़ा है मुझे 


दिल करे ये मेरा अब हाथों में जाम लूं


 


उल्फत करेगा कौन मुहब्बत के नाम पर


बेहतर है क्यों न मै बेवफा मुकाम लूं


 


दिन तो गुज़र ही जाएगा काम धाम में


मै गम ए फुरकत की क्यों न शाम लूं 


 


पूछे है मुझसे दुनिया किसने किया बर्बाद 


 तू ही बता दे हमदम कैसे तेरा मै नाम लूं 


 


खुशनुमा हयात


एडवोकेट/ कवयित्री, बुलंदशहर